मेरे ख्याल से स्मृति ईरानी जी को नियमित रूप से प्रेस कांफेरेंस करके अपने तेज तर्रार तर्कों से इन लिब्रैंडो पत्रकारों का मुँह इसी तरह से बंद कराना चाहिए। इन बड़े बड़े मीडिया हाउस द्वारा नित्य किये जा पक्षपाती रिपोर्टिंग से मैं थक चूका हूँ। ये लोग रोज किसी भी झूठे मुद्दे को उठाते है और उस झूट का विरोध करने वालो को ही कटघरे में खड़ा कर देते है। आम जनता इतनी भी मुर्ख नहीं है जो इन लोगो के झूठे प्रचार प्रसार को समझ न सके।
इस वीडियो में स्मृति ईरानी जी का जवाब सुनकर टाइम्स नाउ की नाविका कुमार का मुँह देखने लायक था। नाविका ने सवाल को पलटने की नामुमकिन कोशिश की, पर तीर निकल चूका था और उसके परिणाम स्वरुप सुनना पड़ा। कुछ भी कहो मजा आ गया, स्मृति जी का जवाब नहीं, इसलिए में इन्हे पसंद करता हूँ, इनकी प्रतिभा मुझे राहुल द्रविड़ जैसी लगती है, दृढ़ संकलप, हर न मानना और टीम के लिए खेलता है, आप इन्हे कोई भी जगह या पद देदें, यह अपनी छाप छोड़ने में कामियाब रहते है।
स्मृति ईरानी की बातें सुनने के बाद मुझे शुष्मा जी की याद आ जाती है ऐसा महसूस होता है एक दिन भारत की राजनीति में शुष्मा जी की कमी को पूरी कर सकती है। जो व्यक्ति शून्य से उठकर इस मुकाम तक पहुँचता है उसी में इस तरह की आग होती है।
दिल से आपको मेरा प्रणाम, जय हिन्द, जय भारती
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